क्या आप जानते हैं कि भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन चुका है? आज भारत विश्व का लगभग 8% यानी 184 लाख टन मछली उत्पादन अकेले करता है। पिछले 75 वर्षों में मछली उत्पादन में लगभग 18 गुना की वृद्धि हुई है। बीते 10 वर्षों में देश में ब्लू रिवोल्यूशन यानी नीली क्रांति ने नई ऊंचाइयों को छुआ है, जिसका सबसे बड़ा कारण सरकार का इस क्षेत्र में विशेष ध्यान और निवेश है।
मछली पालन के लिए बजट
वर्ष 2025-26 के लिए भारत सरकार ने मत्स्य पालन क्षेत्र को ₹2703.67 करोड़ का बजटीय समर्थन प्रस्तावित किया है, जो अब तक का सबसे बड़ा वार्षिक बजट है। यह भारत के एक्वाकल्चर और समुद्री खाद्य निर्यात में बढ़ते प्रभुत्व का स्पष्ट संकेत है।

असम का उभरता हुआ सितारा: अनूप शर्मा
इस बढ़ते विकास का उदाहरण हैं असम के विश्वनाथ जिले के जोकापोड़ा गांव के किसान अनूप शर्मा, जिन्होंने 2016 में ‘महाबा ऑफिसरीज’ नामक स्टार्टअप की शुरुआत की थी। 2017 में उन्होंने मात्र 10 एकड़ से मछली पालन शुरू किया और आज 2025 में वह 110 एकड़ क्षेत्रफल में फिश फार्मिंग कर रहे हैं। यह क्षेत्र बाढ़ प्रभावित और अनुपयोगी जमीनों में गिना जाता था, जिसे अनूप ने मेहनत और दूरदर्शिता से ‘वेस्ट टू वेल्थ’ में बदल दिया।
संघर्ष से सफलता की कहानी
शुरुआती दौर में अनूप को नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि सीखने और मार्गदर्शन की सुविधाएं सीमित थीं। लेकिन समय के साथ विभिन्न संस्थानों और सरकार ने मदद की। आज वह मछली पालन में फीड उत्पादन, मछली के बच्चों (सीडलिंग्स) की सप्लाई और मार्केट साइज फिश प्रोडक्शन तीनों स्तर पर काम कर रहे हैं। उनका वार्षिक टर्नओवर करीब 4 करोड़ रुपये है।

क्षेत्रीय खपत और स्थानीय स्वाद की समझ है जरूरी
अनूप का मानना है कि मछली पालन शुरू करने से पहले यह समझना बेहद जरूरी है कि स्थानीय क्षेत्र में किस प्रकार की मछली की खपत अधिक है। भारत में प्रति व्यक्ति औसतन 7 किलो मछली सालाना खपत होती है, वहीं असम में 12 किलो, त्रिपुरा में 27 किलो और गोवा में 30-40 किलो प्रति व्यक्ति खपत है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अलग-अलग राज्यों में खपत का पैटर्न भिन्न होता है।
कौन-कौन सी मछलियों का पालन होता है?
असम में मुख्य रूप से आईएमसी (Indian Major Carps) का पालन होता है। इसके अलावा पंगास, रूपचंदा, और स्थानीय प्रजातियों जैसे देसी मांगूर, सिंघी, एनाबस और मरल्स की भी खेती की जाती है। बीते 10 वर्षों में यहां का उत्पादन 2.27 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 4.73 लाख मीट्रिक टन हो चुका है।

सरकारी योजनाएं बनी सफलता की कुंजी
यह विकास प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, रेयरिंग टैंक निर्माण, आरएएस तकनीक, बायोफ्लॉक पद्धति, और सरकार की ट्रेनिंग व तकनीकी सहायता का नतीजा है। केंद्र और राज्य सरकारें मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
आप भी जुड़ सकते हैं इस लाभकारी व्यवसाय से
अगर आप भी मछली पालन शुरू करने का सोच रहे हैं और किसी योजना की जानकारी चाहते हैं, तो कमेंट बॉक्स में जरूर पूछें। मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो सही जानकारी, प्रशिक्षण और समर्पण के साथ शुरू कर करोड़ों का टर्नओवर दे सकता है।