स्ट्रॉबेरी और करेला की सघन खेती से एक एकड़ में ₹3 लाख की कमाई, जानिए इस युवा किसान की सफलता की कहानी

पढ़ाई के बाद खेती को बनाया करियर: मैंने 2016 में बीएससी और 2019 में एग्रीकल्चर से एमएससी किया। गांव में पहले कोई वेजिटेबल फार्मिंग नहीं करता था, लेकिन आज 20 से ज्यादा किसान मेरे साथ जुड़कर स्ट्रॉबेरी और करेला की खेती कर रहे हैं। मेरा फार्म एक एकड़ का है, जिसमें से सिर्फ एक चौथाई हिस्से में स्ट्रॉबेरी और करेला लगाकर लगभग ₹3 लाख तक का आउटपुट मिल रहा है।

स्ट्रॉबेरी की तकनीक से शुरुआत

हमने सितंबर में स्ट्रॉबेरी के बेड तैयार किए। शुरुआत में पौधे लगाए और एक महीने बाद मल्चिंग की गई। मल्चिंग करने से नमी बनी रहती है, खरपतवार नियंत्रित होता है और उत्पादन बेहतर होता है। खाद डालने के बाद ड्रिप सिस्टम से सिंचाई की जाती है, फिर समय-समय पर स्प्रे और ड्रिंचिंग की जाती है। दिसंबर के अंत से स्ट्रॉबेरी की तुड़ाई शुरू हो जाती है।

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ठंड में करेले का जमाव कैसे सफल हुआ?

करेले का बीज ठंड में जमाना चुनौतीपूर्ण होता है। इसके लिए बीज को 36–38 घंटे तक भिगोने के बाद सूती कपड़े में बांधकर भूसे या गोबर खाद में दबा देते हैं। इससे अंदर का तापमान बढ़ता है और बीज जल्दी अंकुरित हो जाते हैं। जनवरी के अंत और फरवरी में इन्हें स्ट्रॉबेरी के बीच में रोप दिया जाता है।

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मचान निर्माण और उत्पादन में बढ़ोतरी

हमने पारंपरिक पंडाल के बजाय खड़ा मचान सिस्टम अपनाया। इससे पौधों को बेहतर प्रकाश और हवा मिलती है, जिससे 30–40% तक उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। अप्रैल में स्ट्रॉबेरी के पौधों को मचान छाया देता है जिससे टेंपरेचर कंट्रोल रहता है और फूल-फलन बेहतर होता है।

लागत, मुनाफा और खेती की गणना

इस खेत में स्ट्रॉबेरी पर ₹30,000–35,000 और करेले पर ₹20,000–25,000 खर्च आता है। कुल मिलाकर एक चौथाई एकड़ से लगभग ₹3 लाख का आउटपुट और करीब ₹2 से 2.25 लाख का शुद्ध मुनाफा मिलता है। इसी तरह की खेती अगर पूरी एकड़ में हो तो आय कई गुना बढ़ सकती है।

मल्चिंग और उर्वरकों का सही उपयोग क्यों जरूरी?

मेरे अनुभव में मल्चिंग करने से उत्पादन लगभग दोगुना हो जाता है। किसान बिना मल्चिंग के 50 क्विंटल करेला उपजाते हैं, लेकिन मल्चिंग से वही उत्पादन 100 क्विंटल तक पहुंच सकता है। इसके अलावा उर्वरकों और स्प्रे का संतुलन जरूरी है। किसान अक्सर रोग को ही समस्या समझते हैं जबकि पौधों की न्यूट्रिएंट डेफिशिएंसी को नजरअंदाज कर देते हैं।

आधुनिक तकनीकों का करें प्रयोग

IPM तकनीक के तहत हमने खेत में ब्लू, व्हाइट और ब्लैक स्टिकी ट्रैप्स लगाए हैं। इससे थ्रिप्स, माइट्स और अन्य कीटों पर नियंत्रण मिलता है। मैं सभी किसानों को यही कहना चाहता हूं कि खेती घाटे का सौदा नहीं है—बस नजरिया बदलना होगा।

FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q. क्या स्ट्रॉबेरी और करेला एक साथ उगाना संभव है?
हाँ, सघन खेती में स्ट्रॉबेरी के बीच करेले को लगाया जा सकता है जिससे पूरे साल खेत का उपयोग होता है।

Q. क्या मल्चिंग का उत्पादन पर असर पड़ता है?
बिलकुल, मेरे अनुभव में मल्चिंग से उत्पादन लगभग दोगुना हो जाता है और खरपतवार भी नहीं उगते।

Q. स्ट्रॉबेरी लगाने का सही समय क्या है?
सितंबर से अक्टूबर के बीच स्ट्रॉबेरी लगाई जाती है और दिसंबर से तुड़ाई शुरू हो जाती है।

Q. क्या यह मॉडल छोटे किसानों के लिए भी लाभकारी है?
हाँ, केवल एक चौथाई एकड़ से भी 2 लाख रुपये तक की कमाई संभव है यदि सही तकनीक और समय पर देखरेख हो।

खेती को समझें, प्रयोग करें और समर्पण के साथ जुड़ें

खेती आज के समय में कमाई का एक सशक्त साधन बन चुकी है। मैं चाहता हूं कि युवा किसान रिसर्च करें, तकनीक अपनाएं, और खेती को एक कमर्शियल व्यवसाय की तरह लें। आप जितना ज्यादा समय और मेहनत देंगे, उतना ही ज्यादा लाभ मिलेगा।

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