किसान बताता है मैं असम का रहने वाला एक बागवानी किसान हूं और पिछले कुछ वर्षों से एप्पल बेर की खेती कर रहा हूं। मेरे फार्म में दो वैरायटी हैं मिस इंडिया और बल सुंदरी। इन दोनों किस्मों की मांग बाजार में बहुत अधिक है और कीमत ₹70-₹80 प्रति किलो तक जा रही है। मैं वर्तमान में 2 हेक्टेयर भूमि में इसकी खेती कर रहा हूं और इस साल ₹20 से ₹25 लाख तक की बिक्री की उम्मीद है।
हर पौधे से 20-25 किलो तक उत्पादन
हम पौधों को 7 फुट × 6 फुट की दूरी पर लगाते हैं और ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करते हैं। एक पौधा औसतन 20 से 25 किलो तक फल देता है। मार्च में लगाए गए पौधे फरवरी से फल देना शुरू कर देते हैं। इसके बाद हम हार्वेस्ट के बाद पौधे काट देते हैं ताकि नई शाखाएं निकलें और अगली फसल के लिए गुणवत्ता बनी रहे।

पौधों की उम्र और उत्पादन चक्र
हालांकि एक पौधा 10 से 20 साल तक फल दे सकता है, लेकिन हमने अल्ट्रा हाई डेंसिटी फार्मिंग मॉडल अपनाया है जिसमें पौधों को दो वर्षों के बाद हटा दिया जाता है और नए पौधे लगाए जाते हैं। इससे फल की गुणवत्ता बनी रहती है और खेती में प्रॉफिट भी बढ़ता है। नजदीक नजदीक पौधे लगाकर कम जगह में ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है।
इंटरक्रॉपिंग और खेत की तैयारी
हम एप्पल बेर की खेती के साथ इंटरक्रॉपिंग भी करते हैं, जैसे तरबूज (वाटरमेलन), जिससे अतिरिक्त आमदनी होती है। खेत की तैयारी ट्रैक्टर से हल चलाकर की जाती है, फिर बेड बनाकर उसमें डीएपी, पोटाश, सुपर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, गाय का गोबर आदि डाला जाता है। बाद में हम मल्चिंग करते हैं और फिर पौधे लगाते हैं।

फसल सुरक्षा और स्प्रे
एप्पल बेर में फंगस और छोटे कीड़ों का खतरा रहता है। फसल कटाई से पहले हम कीटनाशक का छिड़काव नहीं करते, लेकिन पहले के चरण में सुरक्षा के लिए कुछ स्प्रे करना आवश्यक होता है।
लागत, मुनाफा और पौधों की संख्या
एक हेक्टेयर में लगभग 2000 से 2500 पौधे लगाए जाते हैं और इसकी शुरुआती लागत करीब ₹3 से ₹3.5 लाख तक आती है। पहले साल में ही एक हेक्टेयर से ₹10 लाख से ज्यादा की बिक्री संभव है, जिससे ₹6 से ₹7 लाख तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है।

आधुनिक तकनीक और सब्सिडी की मदद
हमारे फार्म में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम लगाया गया है, जिसे 85% तक सब्सिडी पर उपलब्ध कराया गया। यह प्रणाली कम खर्च में एक ही व्यक्ति से पूरे फार्म की सिंचाई करवा सकती है। इसे लगाने में कंपनियों की मदद भी मिलती है।
बाजार और फलों की बिक्री
हमारे फार्म पर ही लोग आते हैं और खुद फसल तोड़कर ले जाते हैं। हमें मंडियों में बेचने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बचता है और मुनाफा बढ़ता है। असम में फल बाहर से आता है, इसलिए हमने सोचा कि क्यों न खुद उत्पादन करें और स्थानीय मांग पूरी करें।
FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. एप्पल बेर की सबसे अच्छी वैरायटी कौन-सी है?
A. मिस इंडिया, बल सुंदरी, कश्मीरी सुंदरी और जोजू प्रमुख वैरायटीज़ हैं जिनकी मिठास और उत्पादन क्षमता बेहतरीन होती है।
Q. क्या उत्तर भारत में भी इसकी खेती हो सकती है?
A. हां, यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी एप्पल बेर की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।
Q. इसकी खेती में शुरुआती लागत कितनी आती है?
A. लगभग ₹3 से ₹3.5 लाख प्रति हेक्टेयर खर्च आता है, लेकिन पहले ही साल में ₹10 लाख तक की कमाई संभव है।
Q. क्या छोटे किसान भी यह खेती कर सकते हैं?
A. बिल्कुल, यह खेती कम जगह में भी मुनाफा देती है और सरकार की सब्सिडी तथा तकनीकी मदद से छोटे किसान भी इसे शुरू कर सकते हैं।