जयपुर के बस्सी तहसील के रतनपुर गांव के 20 वर्षीय किसान दिलराज मीणा ने साबित कर दिया है कि अगर सोच नई हो और तकनीक का साथ हो, तो खेती घाटे का नहीं, मुनाफे का सौदा बन सकती है। रेगिस्तान जैसी जमीन और पानी की कमी के बावजूद दिलराज ने पॉलीहाउस, सोलर पंप और ड्रिप इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर खेती को एक सफल व्यवसाय में बदल दिया है।
पॉलीहाउस में खीरा, शिमला मिर्च
दिलराज अपने 4000 स्क्वायर मीटर के पॉलीहाउस में खीरा, शिमला मिर्च, टमाटर, मटर, गाजर और टिंडे जैसी फसलें उगाते हैं। वह बताते हैं कि एक पॉलीहाउस में ₹18–20 लाख की लागत आती है, लेकिन इससे सालाना ₹50 लाख तक का लाभ मिल जाता है। उनका मानना है कि तकनीक से न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि पानी और संसाधनों की भी बचत होती है।
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तकनीक से बदल गई खेती
दिलराज के खेतों में जैन कंपनी का ड्रिप सिस्टम, सोलर पंप और फार्म पाउंड जैसी सुविधाएं हैं। वह बारिश का पानी इकट्ठा कर उसे ड्रिप से सिंचाई में उपयोग करते हैं। इससे बूंद-बूंद पानी से अधिकतम उपज मिलती है। पॉलीहाउस में फसल चक्र का भी विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे मिट्टी जनित रोगों और नेमाटोड जैसे कीटों से बचाव होता है। हर फसल के बाद खेत को तीन महीने खाली छोड़कर उसमें गोबर खाद और ड्रिप से साफ पानी डाला जाता है ताकि मिट्टी शुद्ध हो जाए।
पिता के सपने को किया साकार
जब दिलराज के पिता का निधन हुआ, तब वह स्कूल में पढ़ते थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और परिवार को संभालते हुए खेती को एक नए स्तर पर पहुंचाया। वह पढ़ाई के साथ-साथ खेती भी करते हैं और बताते हैं कि अगर तकनीक का साथ न होता तो यह संभव नहीं था।
युवा किसानों के लिए प्रेरणा
दिलराज जैसे प्रगतिशील किसान यह साबित करते हैं कि खेती में यदि नई सोच, तकनीक और मेहनत का मेल हो तो छोटी उम्र में भी बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। न्यू पोटली की “तकनीक से तरक्की” सीरीज में ऐसे ही किसानों की कहानियां शामिल हैं जो परंपरागत खेती से आगे बढ़कर आधुनिक खेती को अपनाकर नए रास्ते खोल रहे हैं।